आज का टॉपिक बहुति महत्तपूर्ण है आज मे inflation के बारे मे एक डिटेल आर्टिकल आपके साथ शेयर करना चाहता हू, क्युकी inflation ज्यादा तर सभी लोगो को प्रभाबित करता है।
चाहे गरीब हो या आमिर सबको inflation की मार झेल पोड सकती है। इसी लिए गवर्नमेंट इसको closely मॉनिटर करती है।
आज मे मुद्रास्फीति(inflation) का क्या अर्थ है, inflation क्यों बढ़ती है, inflation हम लोगो को कैसे प्रभाबित करती है और inflation का रेट कितना होना चाहिए इन सभी पॉइंट को कवर करेंगे इस आर्टिकल के जरिये तो चलिए आगे बिस्तर से बात करते है
मुद्रास्फीति(inflation) का क्या अर्थ है
inflation को हिंदी मे मुद्रास्फीति कहते है किसी बस्तु या सेबा की प्राइस जब बढ़ती है मतलब good and service के संपूर्ण प्राइस जब बढ़ते है उसको ही हम इन्फ्लेशन कहेंगे।
किसी एक चीज़ का 1 साल के अंदर अगर प्राइस बढ़ जाये तो हम ये नहीं कह सकते की महंगाई बढ़ गया। संपूर्ण चीज़ की प्राइस अगर बढ़ जाये तभी हम उसको inflation कहेंगे।
Cow milk |
Petrol | Gold | |
---|---|---|---|
1947 | 0.12 | 0.27 | 88.62 |
1975 | 2.50 | 1.70 | 540 |
2020 | 48 | 71.26 | 47275 |
एक उदाहरण से समझते है, आप ऊपर टेबल के माध्यम से देख सकते हो 1947 मे 1 लिटर मिल्क का प्राइस था 0.12 पैसा। 1975 मे उसकी प्राइस 2.50 रूपया और 2020 मे प्राइस 48 रूपीस।
वही पेट्रोल 1947 मे 0.27 पैसा 1975 मे 1.70 रूपीस 2020 मे 71.26 रूपीस। अब बात करते है गोल्ड की 1947 मे 10 ग्राम गोल्ड की प्राइस 88.62 रूपीस 1975 मे प्राइस 540 रूपीस और अभी 2020 मे प्राइस 47275 रूपीस।
तो आप स्पष्ट रूप से देख सकते हो (1947-2020) तक महंगाई कितनी बढ़ चुकी है। तो इन्फ्लेशन का मतलब दोनों तरीके से समझ सकते हो आप एक तो प्राइस बढ़ गयी चीज़ो का और दूसरा आपकी करेंसी की जो पावर थी वो भी कम हो गयी।
inflation क्यों बढ़ती है
सबसे पहले आपके मन मे ये सवाल आते होंगे की इन्फ्लेशन क्यों बढ़ती है? कोन बढ़ाता है इन्फ्लेशन को, तो मे आपको 4 मुख्य कारण बताऊंगा इस आर्टिकल के जरिये
- पहला कारण है इकनोमिक बूम होना यानि अच्छी इकनोमिक ग्रोथ होना जब इकनोमिक ग्रोथ अच्छी होगी तो लोगो के पास ज्यादा पैसा आएगा तो ऐसे मे जाहिर सी बात है लोग अलग अलग चीज़े खरीदेंगे यानि हार चीज़ की डिमांड बढ़ेगी
इकोनॉमी मे डिमांड बढ़ने ने के कारन जो भी कंपनी चीज़ो को बना रही है वो देखेंगे की अब चीज़ो की प्राइस बड़ा सकती है क्युकी उसको पता है लोगो के हात मे पैसा आने के कारन वो चीज़े खरीदेंगे और उसको प्रॉफिट अच्छी होगी। तो वो कंपनी प्राइस बड़ा देंगे और साथ मे इन्फ्लेशन यानि मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी।
इसे एक उदाहरण से समझते है मान लीजे एक Airplane है उसमे 200 सीट्स है और 200 पैसंजर को उस Airplane मे जाना है लेकिन उसमे 20 फर्स्ट क्लास सीट्स है और बाकि 180 इकॉनमी क्लास सीट्स है, अब जो पैसंजर है उसको ज्यादा पैसा दे दिया जाये तो वो पैसंजर फर्स्ट क्लास सीट्स एफर्ट कोर पाएंगे और सब यात्री फर्स्ट क्लास सीट्स मे जाना चाहेंगे लेकिन इसमे केबल 20 ही सीट मजूद है तो सब लोग फर्स्ट क्लास सीट मे नहीं जा पाएंगे
तो अब क्या होगा तो जो airline है वो अपनी फर्स्ट क्लास सीट की प्राइस और बड़ा देगी ताकि जिन लोगो के पास और ज्यादा पैसा है सिर्फ वही लोग फर्स्ट क्लास सीट इस्तेमाल कोर पाए। तो इससे Airplane की प्राइस मे inflation हो गयी। इस प्रकार इन्फ्लेशन को कहते है Demand-pull inflation
- दूसरा कारन है raw materials का प्राइस बढ़ना अलग अलग रीज़न के बजह से, जैसे की गेहू चावल महंगी हो गयी खराप मौसम के कारन, oil का प्राइस बढ़ गया, गवर्नमेंट ने नई टैक्स इम्पोसेड कोर दिया किसी raw materials पे जिससे उसकी प्राइस बढ़ गयी।
- तीसरा कारण है सैलरी बढ़ना, जब कंपनी और गवर्नमेंट अपनी एम्प्लॉय की सैलरी बढ़ाती है तो उसको प्रॉफिट मे रहने के लिए अपनी प्रोडक्ट की प्राइस भी बढ़ाती है इसको कहते है wage push inflation
- चौथा कारण है currency depreciation इसमे सबसे महत्तपूर्ण कारण है गवर्नमेंट की तरफ से ज्यादा नोट्स को प्रिंट किये जाना जिससे currency अपनी वैल्यू loose करती है।
inflation हम लोगो को कैसे प्रभाबित करती है
अगर आपकी इनकम ग्रोथ इन्फ्लेशन से ज्यादा है तो आपको परिसान होने की जरुरत नहीं है। एक उदाहरण से समझ ते है अगर आपकी इनकम 30000 थी और अगले साल आपकी इनकम 33000 हो जाये तो आपको 10% इनकम ग्रोथ हो गया और इन्फ्लेशन अगर 6% है तो आपके लिए खुशी की बात है क्युकी अपने इन्फ्लेशन को बीट कोर दिया।
लेकिन आपकी इनकम अगर इन्फ्लेशन को बीट नहीं कोर पाए तो आपके लिए चिंता की बात है। एक उदाहरण से समझ ते है अगर इन्फ्लेशन चल रहा है 6% और आपकी इनकम ग्रोथ सिर्फ 4% का है तो आप देख सकते हो आपकी इनकम ग्रोथ 2% कम हुआ है इन्फ्लेशन के मुकाबले।
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inflation का दर कितना होना चाहिए
बहुत सरे इकोनॉमिक्स का कहना है अगर 2-3% का इन्फ्लेशन प्रतिवर्ष चल रहा है तो एक अच्छी रेट है जिस मे इकॉनमी एक healthy रेट पे ग्रो भी कोर सकते है।
अगर मे भारत की बात कोरु तो भारत की इन्फ्लेशन रेट है 4%। ऊपर निचे 2% का मार्जिन है। अगर 2-6% के बीच मे इन्फ्लेशन रेट रहे तो अच्छा माना जाता है। इससे जो prices होता है वो स्टेबल रहता है और बेरोजगारी की लेवल भी कम से कम रहता है।
inflation को कण्ट्रोल कैसे किया जाता है
इन्फ्लेशन को कण्ट्रोल करने के लिए central bank का भूमिका सबसे एहम होता है, तो भारत की बात कोरे तो central bank RBI है। वो इन्फ्लेशन रेट को कण्ट्रोल करता है अपनी इंटरेस्ट रेट को बाड़के या तो कम करके।
ज्यादा नोट्स प्रिंट करके भी इन्फ्लेशन को कण्ट्रोल किया जा सकता है, ज्यादा नोट्स प्रिंट होंगे तो इन्फ्लेशन बढ़ेगी और गवर्नमेंट की तरफ से ज्यादा टैक्स लगा के इन्फ्लेशन को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
गवर्नमेंट ज्यादा खर्च करके या तो कम खर्च करके भी इन्फ्लेशन को कण्ट्रोल कोर सकते है।
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मुझे उम्मीद है मेरा ये आर्टिकल मुद्रास्फीति का क्या अर्थ है - inflation meaning in hindi आपको पसंद आया होगा अगर आपके मन मे कोई भी सवाल है तो कमेंट करके जरूर बताये।
1 Comments
Super
ReplyDeletethank you for your enquiry we will get back to you as soon as possible